
शहद शहद ज़मी जैसे क्यूँ नहीं होते
कुछ लोग , आदमी के लिए
आदमी जैसे क्यूँ नहीं होते
इतनी नफरतें ज़ेहन में
कैसे पाल लेते हैं लोग
शाम- ए- शबनमी जैसे क्यूँ नहीं होते
कुछ लोग , आदमी के लिए
आदमी जैसे क्यूँ नहीं होते
जब भी सुनाता हूँ उन्हें
गम- ए- हालात अपने
वो आंखे शबनमी जैसे क्यूँ नहीं होते
कुछ लोग , आदमी के लिए
आदमी जैसे क्यूँ नहीं होते.
….. Sudhir Kumar…
😊😊😊😊